AN UNBIASED VIEW OF लक्ष्मी आरती

An Unbiased View of लक्ष्मी आरती

An Unbiased View of लक्ष्मी आरती

Blog Article

सामग्री पर जाएँ मुख्य मेन्यू मुख्य मेन्यू

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

अर्थ- अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे।

भावार्थ – जो इस (हनुमान चालीसा) का सौ बार पाठ करता है, वह सारे बन्धनों और कष्टों से छुटकारा पा जाता है और उसे महान् सुख (परमपद–लाभ) की प्राप्ति होती है।

 “संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम होते हैं , वो आपकी कृपा से सहज ही सुलभ हो जाते है।”

व्याख्या— रुद्रावतार होने के कारण समस्त प्रकार की सिद्धियाँ एवं निधियाँ श्री हनुमान जी को जन्म से ही प्राप्त थीं। उन सिद्धियों एवं निधियों को दूसरों को प्रदान करने की शक्ति माँ जानकी के आशीर्वाद से प्राप्त हुई।

जय हनुमान सनिवार को भी आप हनुमान चालीसा का पाठ कर सकतें हैं.

यहाँ हनुमान जी के स्वरूप की तुलना सागर से की गयी। सागर की दो विशेषताएँ हैं – एक तो सागर से भण्डार का तात्पर्य है और दूसरा सभी वस्तुओं की उसमें परिसमाप्ति होती है। श्री हनुमन्तलाल जी भी ज्ञान के भण्डार हैं और इनमें समस्त गुण समाहित हैं। किसी विशिष्ट व्यक्ति का ही जय–जयकार किया जाता है। श्री हनुमान जी ज्ञानियों में अग्रगण्य, सकल गुणों के निधान तथा तीनों लोकों को प्रकाशित करने वाले हैं, अतः यहाँ उनका जय–जयकार किया गया है।

व्याख्या – जो मन से सोचते हैं वही वाणी से बोलते हैं तथा वही कर्म करते हैं ऐसे महात्मागण को हनुमान जी संकट से छुड़ाते हैं। जो मन में कुछ सोचते हैं, वाणी से कुछ दूसरी बात बोलते हैं तथा कर्म कुछ और करते हैं, वे दुरात्मा हैं। वे संकट से नहीं छूटते।

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।

ध्यान और समर्पण: शिव जी की आरती का पाठ check here करने से मनुष्य का मन शुद्ध होता है और उसका ध्यान ईश्वर की ओर बढ़ता है.

हनुमान जी सदा अपने भक्तो पर कृपा दृष्टि बनाए रखतें हैं. हनुमान जी को कई नामों से उनके भक्त पुकारतें हैं.

आप इसे सेव करके रख लें और रोजाना इसका पाठ करें.

Report this page